Anupama 24th November 2021 full episode Written Update, written Episode On Bollyjagat.in
Anupama 23th November 2021 full episode Written Update सीरियल अनुपमा के आज के एपिसोड में आप सभी देखेंगे की बापूजी अनुपमा को समझाते हैं कि खुश रहने का हक उसे भी है और तुझे भी है जैसा प्यार अनूज तुझसे करता है ना वैसा तो दुनिया में कोई किसी से करता भी नहीं है अनुज कान्हा जी का आशीर्वाद है उस आशीर्वाद से मुंह मत फेर इतने दिनों में मैं ने भाप लिया देख लिया परख लिया तुझे नहीं दिखा लेकिन इन बूढ़े आंखों ने देख लिया कि तू और अनुज एक दूसरे के लिए बने हो मेरे लिए तू राधा है और वो कृष्ण है उस युग में राधा कृष्ण जी के सिर्फ नाम मिले थे
इस युग में राधा कृष्ण को भी मिलने दे बेटे और उसके बाद राधा और कृष्ण की पालकी बापूजी के पास आती है बाबूजी कान्हा जी के सामने हाथ जोड़ते हैं और कहते हैं मेरी बेटी की जिंदगी खुशियों से भर दो कान्हा जी और उसके बाद थाल से रखी तिलक अनूपमा के माथे पर लगाते हैं और अनुपमा से कहते हैं उसे अपनी जिंदगी में आने दे बेटा इतना कहकर अनुपमा को बापू जी अनुज की तरफ भेज देते हैं अनुपमा चुपचाप आगे बढ़ती है
पालकी फिर अनुज के पास जाती है अनुज भी कान्हा जी का आशीर्वाद देता है लेकिन अनुपमा सिर्फ और सिर्फ अनुज को ही देख रही होती है और अपने और अनुज के साथ बिताए हुए शुरू से अभी तक के सारे पलों को याद करती है और चुपचाप एक नजरों से अनुज को देखते जा रही होती है तभी अनुज अनुपमा से कहता है सब ठीक तो है ना तुम ठीक हो मैं जानता हूं कि बहुत प्रॉब्लम है पर वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा अनुपमा तुम देखो इतना सब कुछ होने के बावजूद भी तुम्हारी फैमिली सब एक ही साइड है
एक ही छत के नीचे है वनराज और बापूजी सब कुछ संभाल लेंगे और जरूरत पड़ी तो तुम हो ना बस मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं कि इट्स हाई टाइम अनुपमा अब तुम्हें अपने बारे में भी सोचना चाहिए मैं जानता हूं कि मेरा एडवाइज करने का कोई हक नहीं बनता मगर फिर भी मैं बोलूंगा और मैं यह बोलना चाहता हूं अनुपमा कि तुम बापूजी और बच्चों का ख्याल रखो बेशक रखो मगर खुद को मत भूल जाना अपना भी ध्यान रखो
क्योंकि जब तुम उदास होती हो तो मुझे लगता है कि मेरी पूरी दुनिया उदास हो गई है दोहे की वजह से कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था न कुमार लेकिन अब सब साफ-साफ दिख रहा है ना वैसे लोकमत तुम यहां पर अपनी फैमिली के साथ रुक रही हो या मेरे साथ चल रही हो अनुपमा कुछ नहीं बोलती बस अनुज को एक ट्क से देखती रहती है तभी अनुज एक बार फिर से अनुपमा से कहता है अनुपमा तुम मेरे साथ आ रही हो अनुपमा हां कहती है तभी अनुज कहता है ओके ठीक है
और उसके बाद अनुज अनुपमा को अपने गाड़ी में बैठने को कहता है ना वह चुपचाप जाकर गाड़ी में बैठ जाती है और अनुज को ही देख रही होती है इधर वनराज अपनी परछाई को देखता है जो एक बहुत बड़ा बिजनेस टाइकून बन चुका होता है बलराज की परछाई उसके पास जाती है और कहती है तुझे यहां तक आना होगा बलराज कहता है मैं आऊंगा और एक एक चीज़ का हिसाब लूंगा इधर अनुज घर पहुंच जाता है और अनुपमा से कहता है अनुपमा तुम बहुत थक गई होगी जाओ आराम करो अब मुझे तुमसे एक बात कहनी थी मैं जानता हूं कि
तुम्हारा मूड थोड़ा ऑफ है बट कल बहुत बड़ी मीटिंग है और उसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग है मैं चाह कर भी तुम्हें दोनों मीटिंग से अवॉइड नहीं कर सकता अगर पॉसिबल हो तो कल ऑफिस थोड़ा जल्दी आ सकते हो प्लीज अनुपमा हां में सर हिलाती है और उसके बाद अनुज वहां से चला जाता है इधर बापूजी अकेले में बैठे होते हैं तभी लीला बापूजी के घुटनों में आकर रोती है लीला कहती है मुझे पता है कि मैं माफी के काबिल नहीं हूं पर अगर आप मुझे माफ नहीं करेंगे तो मैं जी नहीं पाऊंगी तभी हंसराज कहते हैं
उठ जाओ लीला वरना घुटनों का दर्द बढ़ जाएगा तभी दिला कहती है आपको अभी भी मेरी चिंता है माफ कर दीजिए ना हंसराज कहते उठ जा लीला लीला कहती है मुझे बचपन से सिखाया गया था कि पति को परमेश्वर समझना पर मैंने तो आपको पति भी नहीं समझा मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया है आप ही बताइए पाप का प्रायश्चित मैं कैसे करूं माफी नहीं तो कम से कम सजा तो दे दीजिए तभी हंसराज कहते हैं सजा तो तुझे कान्हा जी ने दिया है
लीला तू इस घर की मालकिन थी ना झूले पर बैठ कर हुकुम देती थी लेकिन अब तेरी बहू इस घर की मालकिन हो गई तुझे तो मेरी बेटी से दिक्कत थी तो देख कान्हा जी ने तुझे वह बहुत ही जिसकी तू लायक थी मैं वनराज के लिए इस घर के लिए इस घर में आया लेकिन मेरा मन यहां नहीं लगता है यह घर मुझे काटने दौड़ता है यह घर मुझे अपना नहीं लगता है बल्कि घर घर ही नहीं लगता तभी लीला कहती है बिल्कुल सही कह रहे हैं घर को घर बहू बनाती है और जिसने इसे घर बनाया उस बहू को ही मैंने घर से बाहर निकाल दिया
फिर भी वो मेरे लिए बनराज से लड़ी मैं अपने आप को बहुत सयानी समझती थी लेकिन अगर मैं सयानी होती तो उस काव्य की बातों में नहीं आती हंसराज कहते हैं जो हो गया सो हो गया लीला अब इन बातों का कोई फायदा नहीं इतना कहकर हंसराज वहां से जाने लगते हैं तभी लीला उनका हाथ पकड़ लेती है और कहती है मैं जानती हूं कि आप मुझे कभी माफ नहीं करेंगे लेकिन अगर मैं रोज माफी मांगती रहूंगी रोजा सुबह आऊंगी शायद एक दिन मेरे इशारों से मेरा पाप भी धुल जाए
बापूजी बिना कुछ बोले ही वहां से चले जाते हैं और अचानक से लीला की तबीयत बिगड़ने लगती है और बेहोश होकर लीला अनुपमा का नाम लेते हुए जमीन पर गिर जाती है तभी अचानक से अनुपमा को समर का फोन आता है समर बताता है कि बाकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है अनुपमा दौड़ते हुए घर की तरफ आ रही होती है तभी वनराज देखता है कि अनुपमा दौड़कर घर की तरफ आ रही है धनराज अनुपमा से पूछता है ना तुम इतनी रात को यहां क्या कर रहे हो तभी अनुपमा कहती है
आपको नहीं पता बा की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है और फिर दौड़ते हुए वनराज और अनुपमा घर के अंदर आते हैं डॉक्टर बताती है कि स्ट्रेस की वजह से इनका बीपी बहुत ज्यादा लो हो गया था हंसराज कहते हैं लीला ठीक तो हो जाएगी ना कोई खतरे वाली बात तो नहीं है डॉक्टर कहती है फिलहाल तो ठीक है मैंने इंजेक्शन भी दे दिया लेकिन इन्हें 24 घंटे तक मॉनिटर करना होगा यह कुछ दवाई है कुछ खाने के बाद ही दीजिएगा और अगर कुछ प्रॉब्लम होगी तो मुझे कॉल कीजिएगा
लीला अपनी आंखें खोलती है और अनुपमा को अपने पास बैठने को कहती है सभी लोग कहते हैं अभी आप आराम कीजिए बाद में बात कीजिएगा लेकिन लीला कहती नहीं आज मुझे बोलने दे मुझे मेरे परिवार से बात करनी है सब लोग यहीं पर है और काव्या को बाहर जाने को कहती हैं काव्या कहती है अगर आपको अपने परिवार से बात करनी है तो फिर मैं तो इस घर की हूं और अगर कोई बाहर की है तो अनुपमा है तो फिर आप इसे बाहर जाने को कहिए ना
वनराज कहता है काव्या हर बात पर बहस करना जरूरी नहीं है अगर बा कह रही हैं बाहर जाओ तो बाहर जाओ वहीं दूसरी ओर अनुज अनुपमा के बारे में सोच रहा होता है और कहता है आज तो अनुपमा का रूप बदला बदला हुआ सर लग रहा था पता नहीं कौन सी बात हो गई इधर लीला अनुपमा से कहती है सॉरी मैंने अपने पति का ही नहीं तुम दोनों के पिता का इन सब के बापू जी का इस परिवार का परिवार के प्रेम का अपमान किया है
मैंने दर्द इन्हें दिया पर रोना तुम सबको आया है जब से होश संभाला है शांति हो या तूफान दिन हो या रात ठाकुर जी की सेवा की पुण्य कमाया है पर उस एक बाप ने मेरे सारे पुण्य पर पानी फेर दिया मैं सब से माफी मांगती हूं मुझे माफ कर दो वनराज कहता है
बा जो हो गया सब भूल जाइए प्लीज कभी लीला कहती है कैसे भूल जाऊं मैंने मेरे परिवार को रुलाया है कैसे भूल जाऊं की मैं इस परिवार की दुश्मन हूं मुझे तो झूले के साथ ही जलकर राख हो जाना चाहिए था तभी अनुपमा कहती है बाबा आप कैसी बातें कर रही है एक गलती सब को माफ होती है
तभी लीला कहती है मुझे पता है कि मेरी गणित अच्छी नहीं है लेकिन मैं इतना जानती हूं कि मेरी गलती एक से ज्यादा है इन 26 साल तक मैंने सिर्फ तुम्हारे साथ गलत किया है अनुपमा कहती है तो अब सही कीजिए मेरी बात मान लीजिए दिला कहती है मानो कि सब बात मानोगे क्या करना है मुझे बोल अनुपमा रोती है और कहती है आज तक की सारी बातें भूल जाएंगे काव्या कहती है बाप ही कहती है
ना कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट जाए तो उसे लीला कहती है मान लूंगी पर तुझे भी पहले मेरी एक बात माननी पड़ेगी बस एक बात मना मत करना जिसे सुनकर अनुपमा सोच में पड़ जाती हैऔर सारे घर वाले भी सोच में पड़ जाते हैं और एपिसोड कादियान वहीं पर हो जाता है वही कल के एपिसोड में आप सभी देखेंगे कि मंदिर में अनुपमा दिया जला रही होती है तभी काव्या उसके पास जाती है और कहती है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे मंदिर में आ कर दिया जलाने की आज के बाद अगर तुम मेरे घर में आई ना तो मैं वोर्ड लगा दूंगी
तुम्हारे नाम का की तुम मेरे घर के अंदर नहीं आ सकती वही बन रहा है अनुपमा से कहता है कि काव्या ने पेपर से अपने नाम करवा कर मेरे दिल में से हमेशा हमेशा के लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत भर लिया है मैं अब लूजर से ऊपर जाकर दिखाऊंगा तो ये सब होगा कल के आने वाले एपिसोड में